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दर्दे दिल तुमको सुनाएं तो सुनाएं कैसे?

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

दर्दे दिल तुमको सुनाएं तो सुनाएं कैसे

ज़ख़्म जो दिल में लगे हैं वो दिखाएं कैसे

ग़म अगर एक मिला होता बता देते तुम्हें

कितना तड़पाया ज़िंदगी ने बताएं कैसे

रोशनी चुभने लगी है अब तो इन आंखों में

हम कोई दीप जलाएं तो जलाएं कैसे

दिल था ये शीशे सा नाज़ुक टूट के चूर हुआ

अब अगर दिल को लगाएं तो लगाएं कैसे

हुए ख़ुदग़र्ज़ सभी अब तो हैं ज़माने में

हम कोई रिश्ता बनाएं तो बनाएं कैसे

जो भी मिलता है नया कांटा चुभा जाता है

हम अगर फूल खिलाएं तो खिलाएं कैसे

हम जहां रहते हैं वो कोठरी है काजल की

दाग़ से अपना ये दामन हम बचाएं कैसे

हर खुशी साथ लेके आती है गम का सागर

ज़श्न खुशियों का मनाएं तो मनाएं कैसे

दर्दे दिल तुमको सुनाएं तो सुनाएं कैसे

ज़ख़्म जो दिल में लगे हैं वो दिखाएं कैसे

मीनेश चौहान”मीन”

फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)

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