नींद का अभाव और प्रभाव

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
इंसान हो या जानवर नींद बहुत जरूरी है।जहां एक अच्छी और सुकून भरी नींद दिन बना देती है।वहीं जरूरत से कम नींद बहुत सारी परेशानियों का कारण बनती है।अलग-अलग उम्र के हिसाब से नींद के घंटों की जरूरत भी अलग-अलग होती है। जहां एक नवजात शिशु को 16 घंटे नींद की आवश्यकता होती हैं वहीं तीन से अठारह वर्ष की उम्र के बच्चों को दस घंटे नींद लेना आवश्यक है इसके साथ ही उन्नीस से पचपन वर्ष के व्यक्तियों के लिये आठ घंटे की नींद और छप्पन से अधिक उम्र वालों के लिये छः घंटे की नींद पर्याप्त रहती है। नींद में स्वप्न देखना एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसे लोग जो सपने नहीं देखते हैं सामान्यतया पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार होते हैं।
पचास प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं जिन्हें नींद से जागने के पश्चात् पांच मिनट के अंदर ही स्वप्न याद नहीं रहते हैं जबकि स्वप्न को याद रखने का दस मिनट का समय इस आंकड़े को बढ़ाकर नब्बे प्रतिशत तक पहुंच जाता है।स्वप्न का भी नींद पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नींद के विकारों की विभिन्न श्रेणियों में से एक श्रेणी है पैरासोमनिआ जिसके अन्तर्गत असामान्य गति, भावनाएं,व्यवहार,धारणायें और स्वप्न शामिल होते हैं। जो नींद के किसी भी चरण के बीच में या नींद से उत्पन्न उत्तेजना के दौरान होते हैं।साधारण शब्दों मैं इसे समझा जाये तो नींद में व्यवधान डालने वाले विकार को पैरासोमनिआ कहा जाता है।अक्सर देखा गया है कि इस विकार से ग्रसित व्यक्ति को नींद में बुरे सपने आना,या नींद में वाशरूम जाने की आवश्यकता महसूस होना।
इन दोनों ही परिस्थिति में नींद में विध्न आना पैरासोमनिआ के लक्षण हैं।इस डिसआर्डर या विकार से ग्रसित व्यक्ति अक्सर पर्याप्त नींद लेने में असमर्थ होते हैं। और इससे नींद बुरी तरह से प्रभावित होती है। जिसके परिणामस्वरूप अनिद्रा और थकान महसूस हो सकती है। कई बार डरावने या भयंकर स्वप्न इंसान की नींद को खराब करते हुए उसे बुरी तरह प्रभावित कर देते हैं। इससे यह उच्च रक्तचाप या हृदय की लय को भी बुरी तरह से प्रभावित करते हैं। यदि आपको नींद नहीं आती है तो सुकून भरी नींद के लिये बिस्तर पर लेट कर योग करें।
कुछ ऐसे योग भी हैं जिन्हें करने से अच्छी नींद आती है। इनमें से भ्रामरी,प्राणायाम और शवासन करने से शीघ्र नींद आ जाती है। नींद नहीं आने पर एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति का सहारा लिया जा सकता है।बढ़ता हुआ स्ट्रेस (तनाव)और आधुनिक जीवन शैली हमारी नींद के दिये पूर्ण रूप से जिम्मेदार है। इसके कारण हमारी नींद प्रभावित होती हैं और हम अगले दिन स्वयं को तरोताजा महसूस नहीं कर पाते हैं। एक अच्छी नींद के लिये एक्यूप्रेशर चिकित्सा के अन्तर्गत हमारे शरीर में कुछ विशेष बिंदु या पॉइंट हैं जिनको दबाने से नींद शीघ्र और अच्छी आ सकती है।
सीधे लेटकर अपनी पलकों को बार-बार झपकाना भी एक अच्छे विकल्प के तौर पर देखा जाता है ऐसा करने से आंखे शीघ्र ही थक जाती है। और जल्दी नींद आ जाती हैं। इसके साथ ही दिन भर अपने आपको व्यस्त रखें और जॉगिंग, वॉकिंग,स्वीमिंग के साथ ही पुस्तक पढ़ने की आदत भी एक अच्छा विकल्प है। विकल्प तो अनेकों हैं।उनमें से एक विकल्प है सम्पूर्ण दिन की घटनाओं को उल्टे क्रम में याद रखना।ऐसा करने से दिमाग पर जोर पड़ेगा और नींद अच्छी आयेगी।अच्छी नींद के लिये हम कुछ बातों का ध्यान तो रख ही सकते हैं।
इसके लिये सोने का एक निश्चित रूटीन बनायें,दोपहर में तीन बजे के बाद कोशिश करें नेप या झपकी ना लें,अपने खाने का समय भी निर्धारित कर लें,सोने के एक घंटे पूर्व मोबाइल,टीवी और लेपटॉप से दूरी बना लें,योग, मेडिटेशन एवं एक्ससाइज तो जरुरी है ही,देर रात को कुछ भी खाने से बचने का प्रयत्न करें इसके साथ ही सुबह की धूप जरूर लें और अच्छी नींद के लिये अपने शयन कक्ष का तापमान ठंडा रखें।
इतनी सारी बातों को समझने के पश्चात् एक बात और समझना जरूरी है चाय काफी, शराब और एनर्जी ड्रिंक जैसे पेयपदार्थ आपके रुटीन को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिये इनके सेवन से होने वाले दुष्परिणामों को ध्यान में रखना अत्यंत आवश्यक है।हमारी नींद पूरी हो जाने से याददाश्त मजबूत होती है,ब्लडप्रेशर की समस्या नहीं होती है, हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या नहीं होती है, हार्मोंस संतुलित रहते हैं और दिल स्वस्थ रहता है।
रमा निगम वरिष्ठ साहित्यकार
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