आलेख

लोकतंत्र का नया नेता

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

“हमारी पार्टी का नाम पैसा पार्टी क्यों रखा गया?”

“पैसे में परमात्मा है इसलिए।”

“यही नहीं हमें यह भी देखना है कि गरीबों को पैसों की मुसीबत न आने पाए। हमारी पार्टी का चिन्ह है छाता। छाता धूप या बारिश से बचाव के साथ-साथ आत्मरक्षा के काम में भी आता है। गरीबों की एकमात्र रोशनी छाता चिन्ह वाले पैसा पार्टी को पूरे देश में शक्तिशाली बनाना होगा। इसलिए तुम जैसे लोगों को बहुत काम करना होगा।”

“जी! आप जैसे बड़े लोग हमें मार्गदर्शन दें। आप मुझे नगर समिति का अध्यक्ष बनाइए और फिर देखिए पैसा पार्टी को मैं कहां से कहां ले आता हूं।”

“सारे लोगों के मैंने बायोडाटा देखे। बाकी लोगों की तुलना में तुम्हारा रिकॉर्ड अच्छा है। तुम कम से कम आठवीं फेल हुए हो। वे लोग तो छठवीं तक नहीं पढ़ पाए। तुम मारपीट, नकली दारू, नकली सीमेंट और पथराव जैसे मामलों में पांच साल जेल जाकर आए हो। हमारी पार्टी के नियमानुसार जो पार्टी के प्रमुख व्यक्ति होंगे उन्हें कम से कम पांच साल का जेल का अनुभव होना चाहिए। तुम कराटे में ब्लैक बेल्ट हो। कल को तुम किसी विधानसभा में जाओगे वहां दूसरे पार्टियों के लोग तुम पर आक्रमण करें तो तुम उन पर पलटवार कर पार्टी की प्रतिष्ठा को बचाओगे। इसलिए ब्लैक बेल्ट तुम्हारे लिए प्लस प्वाइंट हुआ। लेकिन एक बात है कि दूसरे पार्टी के नेताओं को गालियां देने में तुम थोड़े कमजोर हो। तुमने किसी को नीच, कमीने, कुत्ते जैसी गालियां नहीं दी, क्योंकि मीडिया में ऐसा कुछ आया ही नहीं।”

“नेताजी! मैंने उसके बारे में सोचा है। कुत्ते कहकर उस पार्टी के नेताओं को हम गाली दें तो यहां जो जंतु प्रेमी दल हैं  वे बुरा मान जाटी हैं। कहते हैं हमारे कुत्तों को तुम नेताओं के साथ तुलना करते होऔर उनका अपमान भी।  इस बात पर मानहानि का दावा का खतरा भी है। वह अपनी पार्टी के लिए नकारात्मक सिद्ध होगा। इसलिए मैं नीच, निकृष्ट, चोर, मवाली और  धोखेबाज जैसी गालियां ही देता हूं। आजकल ओटीटी में जो फिल्में आ रही हैं, उनको देखने पर गंदी गालियां किस तरह और कितने तरह की होती हैं यह पता चल रहा है। इसके बाद आगे मैं उन्हीं गालियों का प्रयोग करूंगा। हमेशा अपने आपको अप टू डेट रखता हूं जी।”

“बहुत खूब। दूसरी पार्टी का व्यक्ति अगर हमारे नेताओं को चोर कह कर गाली दे तो तुम उसको क्या जवाब दोगे?”

“मैं कहूंगा हां ! हम लोग चोर हैं। हमने जनता का दिल चुराया है। मीडिया वालों को भी अच्छा हेडिंग मिल जाएगा।”

“अच्छा! यह बताओ कि लोकतंत्र क्या है कोई पूछे तो तुम्हारा क्या उत्तर होगा?”

“और क्या होगा? जनता के पास लूटा गया धन सभी आपस में बराबर बांट लें इसी को तो लोकतंत्र कहते हैं।”

“ठीक है! चुनाव आ रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरने के लिए तुम किस तरह नए वादे करोगे और किन किन उपायों को आजमाओगे?”

“यह थोड़ा सीक्रेट जरूर है, फिर भी आपके सामने क्या छुपा है? नए-नए मतदाता युवक-यवतियों को वादे करूंगा कि बिना परीक्षा के पास हो जाओगे। अगर बेरोजगार है तो बिना इंटरव्यू के नौकरी मिल जाएगी, जिससे उनके सारे वोट हमें ही मिलेंगे। पुरुष और महिलाओं को हाथ घड़ियां  बाटूंगा और कहूंगा कि अब से आपका अच्छा समय शुरू हुआ। अब बूढ़ों की बात कहें तो वोट मांगने जिन घरों पर जाऊंगा अपने साथ एक दो डॉक्टरों को ले जाकर उनके साथ उनके हाथों बीपी, शुगर चेक करवाऊंगा। अगर संभव हुआ तो दवाइयां भी वही के वही उनको दूंगा।”

“कोई बीमारी भी तो होनी चाहिए उन्हे?”

” पचास की उम्र के बाद कोई न कोई बीमारी रहती ही है साहब। इससे उस परिवार के सारे वोट हमें ही मिलेंगे।”

“अब अंतिम प्रश्न। अपनी पार्टी के लिए चंदे और हमारे अपने लिए खर्चे कैसे इकट्ठे करोगे?”

“उस बात में तो बिल्कुल पक्का हूं। बड़े बड़े बिजनेसमैन अपना काला धन कहां कहां छुपा रखे हैं और वे दूसरों के  नामों से कौन कौन से बिजनेस और काला धंधा कर रहे हैं, इसके सारे डिटेल्स मैं ने पहले से ही इकट्ठा कर लिया।  तुम्हारा राज सबको बताऊं ? इस एक संवाद से एक दौरे में कम से कम ₹ दस लाख तो वह देगा ही, जिसमें आप और मैं आधा-आधा बांट लेंगे।  हमें भी तो जनता के साथ आगे बढ़ना है न नेताजी।”

“शाबाश!  तुम मुझे जम गए हो। अब से पैसा पार्टी के नगर समिति के तुम्हीं अध्यक्ष हो। जल्दी ही राष्ट्रीय स्तर के नेता होने के बहुत सारे गुण तुम में दिखाई पड़ रहे हैं। तुम हमारे छाते के लिए  कड़कती बिजली की तरह हो। हाईकमान को तुम्हारे बारे में जरूर बताऊंगा।”

“आपका प्यार बना रहे। धन्यवाद जी!”

डॉ0 टी0 महादेव राव 

विशाखापटनम (आंध्र प्रदेश)

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