सम्हल कर आना
युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
यहां सम्हल कर आना। चोरों की बस्ती है।
साहित्यकार का साहित्य चोरी हो गया।
मयखाने का दरवाज़ा चोरी हो गया ।
डॉक्टर की दवाएं चोरी हो गई।और
दर्जी का कपड़ा चोरी हो गया ।
वकील का कोट और पुलिस का डंडा चोरी हो गया।
साहब का लेपटॉप और बड़े बाबू का पेन चोरी हो गया।
साहूकार का गल्ला चोरी हो गया।
फलानी का बच्चा चोरी हो गया।
मरीज के शरीर का अंग चोरी हो गया।
सब्जी वाले का निंबू चोरी हो गया।
आशिक का दिल चोरी हो गया।
फिल्म की स्क्रिप्ट चोरी हो गई ।वहीं
हिरोइन के कपड़े चोरी हो गये।बहुतों नें
नजरों ही नजरों में नजारा चुरा लिया।
यह चोरों की बस्ती है। यहां जरा सम्हल कर आना।
हद तो तब हो गई। जब पड़ोसन नें
मेरे गमले का गुलाब चुरा लिया।फिर
हमने भी उसका दिल चुरा लिया।
यहां जरा सम्हल कर आना। चोरों की बस्ती है।
श्रीमती रमा निगम
वरिष्ठ साहित्यकार भोपाल म.प्र.
nigam.ramanigam@gmail.com