कला-साहित्य
		
	
	
कजरी

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी !
अरे रामा… ।
ऐ ही सावन महिनवा में, शिव भोले क पूजा रामा…
अरे रामा! बेल पत्र हम चडइबे, कजरी गैबे रे हरी…!
अरे रामा…!
ऐ ही महिनवा में नाग पंचमी आवै रामा…
दूध लावा, हम चडाइबे…
सांप जी के पूजब रे हरी…!
अरे रामा…!
ऐ ही महिनवा में कजरी क त्वहरवा रामा…
अरे रामा! ससुरे से आयिल तीजिया…
मनवा उल्हासित रे हरी…!
अरे रामा…!
सावन क सोमवार, व्रत रहीहै सब अहिवातीन रामा…
सोराहो सिंगार कर के शिव मंदिर जहिहैन रे हरी…!
अरे रामा…!
सावन चढ़ल महीना बड़ा सुहावन रे हरी !
अरे रामा… ।।
© डॉ मीरा त्रिपाठी पांडेय
मुंबई, महाराष्ट्र
 
				



