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युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

मुझे फिर से

हंसना खिलखिलाना है।

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

मुझे फिर से

मस्ती भरे लम्हों को जीना है।

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

मुझे फिर

थक हारकर मां की गोद में सोना है।

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

मुझे फिर

अधूरी मोहब्बत का किस्सा सुनाना है।

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

मुझे फिर से

अपने यारों के साथ ही जीना है।

बीते हुए वक्त कभी लौट आना

मुझे फिर

बीता हुआ हर लम्हा जीना है।

राजीव डोगरा

कांगड़ा हिमाचल प्रदेश

9876777233

rajivdogra1@gmail.com

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