कला-साहित्य
प्रांजल।

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
सरल स्वाभिमानी व्यतित्व,
सुन्दर पहचान है।
प्रांजल की यहीं आन बान और शान है,
हमें प्रांजल बनकर,
रहने का श्रम करना चाहिए,
उन्नति और प्रगति पथ पर आगे बढ़ने में,
यही क़दम उठाए रखना चाहिए।
यह सुबोध स्वच्छ पवित्र और साफ़ का,
सबसे सटीक प्रतीक है।
उन्नति और प्रगति के राह पर ,
चलते हुए रहने का,
सबसे बेहतरीन माध्यम है,
जिसे हम कह सकते सटीक है।
यह विचार हमें गरिमामई,
सरल और सहज बनाता है,
सही रास्ते पर चलने का ,
हरक्षण पाठ पढ़ाते हुए,
हर मुश्किल वक्त का साथी,
हर वक्त बन जाता है।
यह सरलता का एक अपूर्व दर्शन है,
नरम और कोमल बनकर,
दिखलाता प्रदर्शन है।
आओ हम-सब मिलकर यहां एक,
सुन्दर सोच को सरलता से,
सदैव सुसज्जित करें।
प्रांजल के अर्थ में प्रयुक्त भावनाओं को,
सर्वत्र विकसित करें।
डॉ ०अशोक,पटना,बिहार।