Yug Jagran

प्रेम से प्रेम

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

मैं देख रहीं हूं,,एक बूंद

उसका गिरना,,

उसका विलीन होना,,

और

उसका फिर से बूंद बन जाना,

मैं जोड़ रही हूं

उससे एक आस

घने जंगल की ,

इसी तरह

मैं देख रही हूं प्रेम को भी

तुम्हारी कविताओं में !!

रे मानव, तू लिख दे

शब्द दर शब्द,,नित नई कहानियां

एक नई शुरुआत की ,

कि बनता है पानी से ‘पानी’

बारिशों से ‘बारिशें’

और,,प्रेम से प्रेम,,है न !!

नमिता गुप्ता ‘मनसी’

मेरठ, उत्तर प्रदेश