कला-साहित्य
बैल और हल

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क
जब मैं पीछे मुड़ता हूं
एक सुकून देखता हूं
दिल कहता है कृषक
अब उठ तू कर्म कर
पशुओं से जोड़ नाता
तेल डीजल तू बचा
लाभ तेरा तेरे साथ है
ईश्वर तेरा तेरे साथ है
बैल और हल तू पूज
और न हल कोई दूज
वक्त से मुझे लड़ना है
खेत फसल उन्नत करना है
पूनम पाठक बदायूँ




