कला-साहित्यविचार

मातृभूमि माँ

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

उदास नहीं हूँ मैं

निराश नहीं हूँ मैं।

माँ का श्रृंगार करूँ

फ़र्ज अदा मैं करूँ।

व्यथाएँ भुला कर

शिकवे भुलाकर।

भेदभाव कोई नहीं

कोई द्वेष भी नहीं।

माँ से मैं प्रेम करूँ

माँ से लिपट जाऊँ।

माँ तेरा आंचल

ही तो है जीवन।

तू माँ जीवन देती

तेरी ही हैँ सांसें।

तेरी ही खातिर,

माँ शेर हैँ हम।

माँ माँ माँ बस माँ

जननी भारत माँ।

तेरा लाल हूँ मैं माँ,

हिंदुस्तान हूँ मैं माँ।

तस्वीर बदलनी है

बढ़कर जननी से।

गीत लिखूँ कविता,

प्रातः चमके सविता।

सबको सम प्यार करे

हर लाल को दुलार करे।

माँ तू ही तू खजाना है

गंगा पर्वत व हिमालय।

चाँद तारे सूरज गगन

तेरे बिना नहीं क्षितिज।

हुंकार भरी है प्यार  से

सजा देंगे तुझे प्यार से।

पूनम पाठक बदायूँ 

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