मध्यप्रदेश

शाजापुर: कलेक्टर के पैरों में गिरकर बुजुर्ग ने जमीन वापस दिलाने की लगाई गुहार, फिर भी नहीं पसीजा सिस्टम

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

शाजापुर: शाजापुर जिले में जनसुनवाई के दौरान एक 80 वर्षीय बुजुर्ग ने डिप्टी कलेक्टर के पैरों में गिरकर जमीन वापस दिलाने की गुहार लगाई। इस दृश्य को जिसने भी देखा वो बुजुर्ग की परेशानी देख भावुक हो उठा। बुजुर्ग ने कलेक्टर के पैरों में गिरकर और हाथ जोड़कर दबंगों से जमीन वापस दिलाने की मिन्नतें की, लेकिन बुजुर्ग की करुण गुहार सुनकर भी सिस्टम ने उनकी कोई मदद नहीं की लिहाजा अब वे कलेक्ट्रेट कार्यालय पर धरने पर बैठे हैं।
मामला शाजापुर जनसुनवाई का है। डिप्टी कलेक्टर अजीत श्रीवास्वत जनसुनवाई में मौजूद थे। मंगलवार को 80 वर्षीय दलित बद्रीलाल जनसुनवाई में पहुंचे और डिप्टी कलेक्टर अजीत श्रीवास्तव के पैर पकड़कर जमीन से दंबगों का कब्जा हटवाने की गुहार लगाई। बद्रीलाल ने कहा कि आप ही मालिक हैं जमीन दिलवा दो। 80 वर्षीय बुजुर्ग जनसुनवाई में अपनी पत्नी, बहू और पोतों के साथ आये थे।
जनसुनवाई के दौरान बुजुर्ग ने कहा कि ‘मैं परेशान हो गया हूं, मेरी जमीन दिला दो। वहीं, बुजुर्ग की गुहार पर डिप्टी कलेक्टर ने उनसे कहा, ‘ये किसने बोला,ऐसा करने के लिए खड़े हो, इस तरीके से नहीं किया जा सकता। बुजुर्ग ने कहा कि आप मेरे जिले के भगवान हो। बुजुर्ग कई सालों से जनसुनवाई में गुहार लगा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके सुनवाई नहीं हुई।
कई बार शिकायत करने के बाद भी अब बुजुर्ग बद्रीलाल कलेक्टर कार्यालय में धरने पर बैठे हैं। जिला प्रशासन उनकी सुनने के लिए तैयार नहीं। वहीं डिप्टी कलेक्टर के जनसुनवाई में मीडियाकर्मियों पर भड़कने का भी मामला आया है।
ये है पूरा मामला
शाजापुर निवासी बद्रीलाल पिता रामा जी की 2 बीघा जमीन कृषि उपज मंडी के पास है। उनकी इस भूमि की कीमत करोड़ों में हैं। उनकी डेढ़ बीघा जमीन पर 2002 में चार फर्जी रजिस्ट्री के माध्यम से कब्जा कर लिया गया था। बद्रीलाल ने जिला प्रशासन के सामने कई बार जमीन वापस दिलाने की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सुनवाई न होने पर बद्रीलाल ने सिविल न्यायालय शाजापुर में वाद दायर किया और सिविल न्यायालय ने चारों रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर दिया। लेकिन उसके बाद भी बद्रीलाल अपनी जमीन पर कब्जा वापस नहीं पा सके। दबंगों ने उनकी डेढ़ बीघा भूमि के अलावा आधा बीघा जमीन पर भी कब्जा कर लिया। बद्रीलाल की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वहीं, उनकी उम्र भी काफी हो चुकी है। वे प्रशासन से लगातार गुहार लगा रहे हैं लेकिन प्रशासन कान बंद किए बैठा है।

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