कला-साहित्य

सपने

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

सपने यह शब्द भले ही है छोटा

पर अहमियत है बहुत इसकी

छोटे बड़े या हो बूढे जानते है इसका महत्व सभी

सपने होते है कई तरह के पर सभी के साकार होते नही।

सपने वो होते नही जिन्हें देखते है हम रात में

सपने तो वो होते है जो खोने नही देते किसी भोर में कहीं

सपने तो देखते है हर कोई यहीं

पर उसे पाने वाला होता है अद्वितीय वही।

सपने तो हमने भी देखें कहीं जब साकार न हुए

तो निराश होकर बैठे वहीं तब मैंने शांत होकर सोचा

न पूछो अब कि ये घाव कितने गहरे है

वो देख रहे हो न तुम वो सपने अधूरे मेरे है

कर वादा तू अपनी माँ को उनके सपने होंगे पूरे

दिन रात करना मेहनत तू बस उसके सपनो कि खातिर।

किस्मत तेरे आड़े आकर रास्ता भी रोकेगी

साम-दाम-दण्ड-भेद लगाकर तेरा मन ये टोकेगी

पर तु न डरना, तू न गिरना

अपनी औकात दिखा देना किस्मत से लड़कर तू

अपने सपनो का शीश उठा लेना

अपने सपनो का शीश उठा लेना

राजेश्वरी बालोटिया

युवा लेखिका/साहित्यकार

चित्तौड़गढ़,राजस्थान

सचलभाश/वॉट्सएप – 6375715405

ईमेल – rajeshwaribalotiya50@gmail.com

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