कला-साहित्य

॥ अनहोनी ॥

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

अनहोनी जब आता है

किसी को कुछ ना वाताता है

बगैर सूचना आ जाता है

घटना को अंजाम दे जाता है

अनहोनी जब आता है

मन र्माष्तष्क कुंठित हो जाता है

सोच विचार रूठ जाता है

तमस मन पर छा जाता है

अनहोनी जब आता है

अपना भी पराया हो जाता है

परेशानी को बुलाता है

रौद्र रूप दिखलाता है

अनहोनी जब आता है

काल साथ ले आता है

वक्त साथ छोड़ जाता है

जग में अनाथ कर जाता है

अनहोनी जब आता है

गाँव जवार साथ ना आता है

पकी हुई मछली भी पल में

जल में बह चली जाता है

अनहोनी जब आता है

बरबादी संग ले आता है

आर्थिक क्षति दे जाता है

मन को अशांत कर जाता है

उदय किशोर साह

मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार

9546115088

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