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युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

“क्यों भाई अस्पताल में क्यों भर्ती हुए?”
“सिर पर चोट लगी तो ऑपरेशन किया गया।”
“लेकिन पट्टियां पैरों पर क्यों बंधी हैं? सिर पर क्यों नहीं?”
“पता नहीं साहब! मुझे नहीं मालूम।”
“क्यों भाई! केस शीट में लिखा गया है कि आंख का ऑपरेशन हुआ। समस्या क्या है?”
“दांत दर्द को शायद आंख दर्द समझे होंगे। तभी ऐसा लिखा गया शायद।”
“लेकिन बैंडेज कान पर क्यों लगा है?”
“पता नहीं साहब! मुझे नहीं मालूम।”
“तुम कौन हो? यहां क्या करते हो?”
“मैं एक्स रे मशीन ऑपरेटर हूं।”
“स्कैनिंग और जेरोक्स मशीनें ही हैं। एक्सरे मशीन कहां है?”
“जी! वह मरम्मत के लिए गया है। इसलिए स्कैनिंग कर रहा हूं।”
“स्कैनिंग मशीन से एक्सरे कैसे निकालोगे?”
“पता नहीं साहब! मुझे नहीं मालूम।”
“और तुम! क्या करते हो यहां?”
“सुई की दवा वही इंजेक्शन देती हूं।”
“सिस्टर हो?”
“मेरी कोई बहन नहीं है साहब!”
“मेरा मतलब है नर्स हो क्या?”
“नहीं जी! स्वीपर हूं।”
“तो फिर नर्स का ड्रेस क्यों पहन रखा है?”
“पता नहीं साहब! मुझे नहीं मालूम।”
“डॉक्टर! आप किस विभाग के मुखिया हैं?”
“मुखिया उखिया कुछ नहीं। मैं कैंटीन में ब्रेड आमलेट बनाने वाला मास्टर हूं-रसोईया।”
“तो फिर सफेद कोट पहन के यहां क्या कर रहे हो?”
“पता नहीं साहब! मुझे नहीं मालूम।”
“ऑपरेशन थिएटर में तुम्हारा क्या काम है भाई?”
“थिएटर ही है न! इसलिए टीवी पर सिनेमा देख रहा हूं।”
“नाम में थिएटर है का मतलब जहां तहां सिनेमा देखते फिरोगे?”
“पता नहीं साहब! मुझे नहीं मालूम।”
“वार्ड में सारे बेड खाली हैं। रोगी कहां हैं?”
“टेस्ट और जांच करवाने गए हैं।”
“जब मशीनें ही नहीं हैं, तो कहां जांच करवाएंगे?”
“पता नहीं साहब! मुझे नहीं मालूम।”
“यह पता नहीं वाला जवाब क्या है? सच सच बोलो तुम सब सच में रोगी ही हो और तुम लोग डॉक्टर ही हो ना?”
पता नहीं साहब! हमें कुछ नहीं मालूम।”
“अब यह बताओ यह सारी कहानी तुमने मुझे क्यों सुनाई? यह सब फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में घटता सा लग रहा है।”
“हां! यह सब सुनकर उच्चतम न्यायालय ने भी इसी तरह का आश्चर्य व्यक्त किया।”
“वह कैसे?”
“फिल्म मुन्ना भाई में जैसा दिखाया गया था, आजकल हमारे आसपास भी यही सब हो रहा है।”
“सच???”
“महाराष्ट्र में एक चिकित्सा महाविद्यालय में जांच का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। राष्ट्रीय चिकित्सक संघ (नेशनल डॉक्टर्स एसोसिएशन) के अधिकारी निरीक्षण कर रहे थे, तो वहां न एक्सरे मशीन थे और न ऑपरेशन थिएटर ही। मामले को गंभीर पाकर उस महाविद्यालय पर कार्यवाही की गई और फिर मामला उच्चतम न्यायालय तक पहुंचा। उस समय सारा वाकया सुनकर न्यायालय ने कहा यह सब तो मुन्ना भाई फिल्म में देखा गया।”
“मतलब सारी सुविधाएं होने के बावजूद एक इलाज भी सही नहीं करने वाली बड़ी बीमारी से ग्रस्त सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय और दवाखाने कितनी तकलीफें झेल रही हैं और बिना किसी सुविधा के सारी सुविधाएं होने का एहसास कराते निजी महाविद्यालय अस्पताल भी परेशान हो रही हैं।”
“महाविद्यालय के अस्पताल में रोगी, सुविधाएं न होने पर कार्यवाही करना तो बनता ही है। फिर न्यायालय में मामला क्यों पहुंचा?”
“महाविद्यालय के निरीक्षण की सूचना पहले से नहीं दी गई यह शिकायत थी उनकी। इसी मामले पर चिकित्सा महाविद्यालय न्यायालय पहुंचा।”
“निरीक्षण की बात पहले से बताएं तो वह कैसा निरीक्षण होगा? बस अपने रिश्तेदारों के घर जाकर ठहरने वाली बात हो गई सूचना देना तो।”
“निरीक्षण की सूचना देने पर वे भी अपनी तैयारियां तो करते न?”
“क्या तैयारी? किराए पर रोगी, डॉक्टर, स्टाफ और उपकरणों को लेकर सजाने की तैयारी?”

डॉ0 टी0 महादेव राव
विशाखापटनम आंध्र प्रदेश

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