कला-साहित्य

स्वर्गवासी पापा को पत्र

युग जागरण न्यूज़ नेटवर्क

प्रिय पापा

कैसे हो पापा आज चार साल हो गये आपको

हमें छोड़ कर जाने को ना कोई चिट्ठी ना संदेश किसी और को नहीं कम से कम अपनी लाडली को तो एक फोन कर लेते वह आज भी शाम होते हि आपकी फोन का इंतजार करती हु की शायद मेरे पापा का फोन आ जाये की बेटा मेरी छुट्टी हो गईं हे क्या लाउ तेरे लिए पापा आप शायद इस बात से अनजान हो।
की आपकी लाडो की एकबार बोलते हि जो इच्छा पूरी होती थीं आज वह इच्छा मन में मार देनी पड़ती हे एक आप हि थे पापा जो मुझे समजते थे नहीं आजकल मुझे समजा कम और समजाया ज्यादा जा रहा हे आपको याद हे पापा ज़ब मुझे कोई कुछ बोलता था तो आप उस व्यक्ति को कितना डाटते थे मेरी बेटी को कुछ बोलना नहीं अब कोई बोले तो चुप चाप सुन लेती हु तब आपकी याद आति हे बहोत काश आज मेरे पापा होते तो मुझे इन लोगो की बाते नहीं सुननी पडती क्यों चले गये अपनी लाडो को अनाथ कर पापा आपके बिना सब फिका हे यहाँ आपको पता हे आप थे तब घर में एक अनुशासन था और आज वह घर में ना अनुशासन हे नियम हर कोई अपने मन की करता हे पापा मुझे आपकी सबसे ज्यादा जरूरत थीं आप हि थे ।

जो मेरे खिलाफ एक शब्द नहीं सुन सकते थे आपकी जगह कोई नहीं लें सकता पापा आपने मेरे लिए क्या कुछ नहीं किया हे ये सिर्फ में हि जानती हु में आपसे झगड़ा करती, जिद्द करती लेकिन आप वो मेरी हर जिद्द पूरी करते कैसा भी खाना बना लू आप अच्छा हि कहते थे हसाते थे हमेशा आपकी हर एक बात आज भी याद आती आपकी लाडो अब अकेली रो लेती हे लेकिन खुलकर किसीसे शिकायत भी नहीं कर पाती पापा आगे नहीं लिख पाऊँगी में लिखते लिखते आंसू रुक नहीं पा रहे हे.. अपना खयाल रखना पापा।

आपकी लाडली
कविता

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